How to avoid cataract naturally?
सरकारी आंकड़ों के अनुसार हमारे देश में हर साल लगभग 65,00,000 cataract surgeries की जाती है. लेकिन इतनी बड़ी संख्या में कैटरैक्ट सर्जरीज़ किए जाने के बावजूद भी कई लोग, सही वक्त पर कैटरैक्ट सर्जरी ना कर पाने की वजह से ब्लाइंडनेस या नेत्रहीनता का शिकार होते हैं. और पूरी दुनिया में कैटरैक्ट इंड्यूस्ड ब्लाइंडनेस के शिकार लोगों की संख्या हमारे देश में सबसे ज्यादा है.


अब कैटरैक्ट एक ऐसी समस्या है जो हम इंसानों के एक सबसे महत्वपूर्ण अंग को प्रभावित करती है, एक ऐसे अंग को जो हमारे सेंसरी सिस्टम का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है. आँखों के द्वारा ही हम इस दुनिया को सबसे बेहतर तरीके से सेन्स कर पाते हैं और इसीलिए कोई भी ऐसी बिमारी जो आँखों को प्रभावित करे.
उसे हमें अवॉइड करने की कोशिश करनी चाहिए और मज़े की बात यह है कि कैटरैक्ट को अधिकतर केसेस में आसानी से अवॉइड किया जा सकता है.
कैटरैक्ट को अवॉइड करने के लिए तीन गलत चॉइसेस को अवॉइड करना जरूरी है.
पहली है लाइफ स्टाइल चॉइसेस,
दूसरी है मेडिकल चॉइसेस, और
तीसरी है फूड चॉइसेस.


लाइफ स्टाइल चॉइसेस में सबसे पहला कारण है, धूम्रपान या स्मोकिंग कम्पलीटली बंद करना.
स्मोकिंग की वजह सेआपकी बॉडी ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस का शिकार होती है जो आगे चलकर आपकी आँखों के लेन्स के प्रोटीन्स को डैमेज कर सकती है.
स्मोकिंग आपकी बॉडी में एंटी ऑक्सिडेंट्स कि लेवल्स को deplete कर देती है.
जिसके चलते आपके शरीर में विटामिन ई और विटामिन सी जैसे महत्वपूर्ण विटामिन्स की कमी हो जाती है, और यह wo विटामिन्स आपकी आँखों की लेंस की सेहत के लिए बहुत ही जरूरी है.
और इसीलिए साइअन्टिस्ट मानते हैं कि स्मोकिंग ना सिर्फ कैटरैक्ट के शुरुआत का कारण बनती है, बल्कि कैटरैक्ट को बढ़ाने का भी कारण होती है.


आज से कई साल पहले की गई The Blue Mountains Eye Study में पाया गया था, कि स्मोकिंग और कैटरैक्ट के बीच में बहुत गहरा संबंध है.
इस स्टडी ने बताया कि जो लोग रेग्युलर स्मोकिंग करते हैं, उनके नॉन स्मोकर्स के मुकाबले कैटरैक्ट डेवलप करने के चान्सेस बहुत ज्यादा होते है.
और स्मोकिंग और कैटरैक्ट डेवलपमेंट में dose-response रिलेशनशिप होती है.
जिसका मतलब है, कि जितना ज्यादा कोई व्यक्ति स्मोकिंग करता है उतनी ही उसकी कैटरैक्ट डेवलप करने की रिस्क भी ज्यादा होती है.
American Academy of Ophthalmology द्वारा कंडक्ट की गई एक स्टडी साफ साफ कहती है. कि नॉन स्मोकर्स के मुकाबले स्मोकर्स की कैटरैक्ट डेवलप करने की रिस्क दो से तीन गुना ज्यादा होती है.


कैटरैक्ट अवॉइड करने के लिए जिस दूसरी गलत लाइफ स्टाइल चॉइस पर ध्यान देना जरूरी है, वो है अल्कोहल.
अल्कोहल भी बॉडी में ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस बढ़ाता है और hamare मेटाबॉलिज्म से भी गहरे लेवल पर छेड़खानी करता है .
जिसके चलते आगे चलकर कैटरैक्ट होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है.
कैटरैक्ट अवॉइड करने के लिए जिस तीसरी गलत लाइफ स्टाइल चॉइस पर ध्यान देना जरूरी है, वो है अपनी आँखों को अननेसेसरी इंजरीज़ या ट्रॉमा से बचाना.
अक्सर लोग खेल के मैदान में स्पोर्ट्स फील्ड में जब कोई खेल खेल रहे होते हैं, तो जाने अनजाने वे किसी इंजरी का शिकार हो जाते हैं, जो आगे चलकर कैटरैक्ट कि रिस्क को बढ़ा देती है.


कैटरैक्ट को अवॉइड करने के लिए जो अगला महत्वपूर्ण कदम है, वो है गलत मेडिकल चॉइसेस को अवॉइड करना.
और इस category में सबसे महत्वपूर्ण कदम है स्टेरॉइड्स के उपयोग को कम करना.
साइंटिफिक रिसर्च साफ साफ बताती है कि जब कोई व्यक्ति स्टेरॉइड्स का लगातार लंबे समय तक बिना कोई रोक टोक किये उपयोग करता रहता है.
तो वे उसकी आँखों में कैटरैक्ट कि रिस्क को बढ़ा देती है.
इन मेडिकेशनस मे कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स मुख्य हैं, और समस्या यह है कि आज की तारीख में कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स का उपयोग कई लोग बिना कुछ सोचे समझे करते हैं.
क्योंकि कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स कई बीमारियों मैं बहुत ही क्विक रिलीफ पहुंचाते हैं.
इसके अलावा आज के हमारे इस इंस्टाग्राम और सोशल मीडिया के जमाने में कोई भी व्यक्ति इमपर्फेक्ट नहीं दिखना चाहता.
और इसी इच्छा के चलते करोड़ों लोग कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स का इस्तेमाल बहुत ही छोटी छोटी स्किन प्रॉब्लम्स से डील करने के लिए करते हैं.
इसी तरह से आज की तारीख मेंलाखों लोग अपनी बाइसेप्स का साइज बढ़ाने के लिए और अपनी अपर बॉडी की मसल्स को बेहतर बनाने के लिए steroids का इस्तेमाल करते हैं.
अब स्टेरॉइड्स को यूज़ करने का कारण चाहे जो भी हो, लेकिन उनका एक बहुत बड़ा साइड इफेक्ट यही है कि वे कैटरैक्ट की रिस्क को भी बहुत बढ़ा देते हैं.


लाइफ स्टाइल choices और medical choices के अलावा कैटरैक्ट को avoid करने के लिए अपनी फूड चॉइसेस पर ध्यान देना भी बहुत जरूरी है.
कोई भी व्यक्ति जो कैटरैक्ट को अवॉइड करना चाहता है तो उसे अपने ब्लड शुगर लेवल पर बहुत बारीकी से ध्यान देना चाहिए.


यदि किसी व्यक्ति को डाइअबीटीज़ है तो उसे अपने ब्लड शुगर लेवल को कम करने की कोशिश करनी चाहिए.
क्योंकि यदि किसी व्यक्ति के शरीर में लगातार कई सालों तक हाइपर ग्लाइसीमिया की समस्या बनी रहती है या उसकी ब्लड शुगर लेवल काफी हाई रहती है, तो उसके कैटरैक्ट डेवलप करने के चान्सेस बढ़ जाते हैं.


इसके अलावा अपनी फूड choices में सुधार लाने की एक और जरूरत है, और वो है न्यूट्रिशनली डैन्स फूड खाने की. अक्सर ऐसा पाया गया है कि जिन लोगों को कैटरैक्ट होता है उनमें विटामिन A, C और E की कमी होती है. और इसीलिए कोई भी ऐसा व्यक्ति जो कैटरैक्ट को अवॉइड करना चाहता है, उसे फ्रूट्स और वेजिटेबल्स कि कन्सम्शन पर ध्यान देना चाहिए. स्पेशली वह सब फ्रूट्स और वेजिटेबल्स जिनके कलर्स वाइब्रेंट होते है, जैसे कि केरट्स पालक हरी सब्जियां शिमला मिर्च और ग्रीन लीफी वेजिटेबल्स.


अब जैसा की आप देख सकते हैं दरअसल यही हिदायत अन्य कई chronic diseases को avoid करने के लिए भी दी जाती है. और इस बात का मतलब है की यदि कोई व्यक्तिकैटरैक्ट को अवॉइड करने के लिए अच्छी लाइफ स्टाइल को अडॉप्ट करता है.
लंच और डिनर के मेन्यू में होल ग्रेन्सग्रीन लीफी वेजिटेबल्स ऐंटी इन्फ्लेमेट्री फूड प्रोडक्ट्स मिल्लेट्सऔर अच्छी क्वालिटी की फैट्स का समावेश करता है.
तो वो कैटरैक्ट को अवॉइड करने में तो सफल होगा ही, लेकिन उसके साथ ही साथ उसे जाने अनजाने ही डाइअबीटीज़ और इंसुलिन रेजिस्टेंस ओर कार्डियोवस्कुलर प्रॉब्लम्स से भी छुटकारा मिल जायेगा,
